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प्रधानाध्यापक श्री मोहनलाल जी सर |
ये कहानी हैं पाली के छोटे से गांव गुड़ाबिच्छू के प्रधानाध्यापक श्री मोहनलाल जी सर कि जिन्होंने छोटे से गांव में रहकर सरकारी विद्यालय में पढ़ाई की और आज वह सरकारी स्कूल में प्रधानाध्यापक का पद संभाल रहे हैं। उन्हीं की जुबानी सुनते हैं कि कैसे उन्होंने इस मुकाम को हासिल किया।
संसार मार्ग :- मोहनलाल जी सर आपका बहुत बहुत अभिनंदन की आपने हमारे लिए समय निकाला। सबसे पहले हम बड़े ही उत्सुक हैं ये जानने के लिए की आपने अपने करियर की शुरुआत कब और कैसे की ?
मोहनलाल सर :- मैंने गुंदोज गांव के सरकारी विद्यालय से अपनी माध्यमिक की पढ़ाई पूरी की जिसके बाद पाली के सरकारी स्कूल से उच्च माध्यमिक की पढ़ाई की और पाली बांगड़ महाविद्यालय से स्नातक की परीक्षा पास की। और सन् 1987 में सरकारी अध्यापक के रूप में कार्य ग्रहण किया।
संसार मार्ग :- ऐसी क्या वजह थी जिसके चलते आपने टिचिंग को ही अपना कैरियर चुना ?
मोहनलाल सर :- देखिए असल में टिचिंग को मैने इसलिए चुना क्योंकि उस समय शिक्षा विभाग में काफ़ी पद खाली थे जिससे नौकरी मिलना भी आसान था। और हम मित्रों का यह मानना था कि शिक्षा के क्षेत्र में कुछ अच्छा करना हैं जिससे रिक्त पदों को भरके विद्यार्थियों का भविष्य उज्जवल बनाने में भागीदार बन सकें।
संसार मार्ग :- आपको सरकारी विद्यालय से प्रधानाध्यापक के सफर में किन परेशानियों का सामना करना पड़ा?
मोहनलाल सर :- उस समय वैसे तो सिर्फ़ सरकारी विद्यालय थे जिनमें रिक्त पद भी बहुत थे इसीलिए जो भी B.Ed. कर लेता था उसकी नौकरी पक्की थी। पर यह जितना आसान दिखता हैं उतना था नहीं। मैने 11वी कक्षा से ही फैक्ट्री में कार्य करने के साथ साथ अपनी पढ़ाई पूरी की। फिर बाद में ट्रेनिंग पूरी करके अध्यापक के पद पर कार्यरत हुआ। धर्य रखा और अब प्रधानाध्यापक के पद पर कार्य कर रहा हूं। देखिए सभी के जीवन में परेशानी आती हैं, उनका जो धर्य के साथ सामना करता हैं वहीं आगे बढ़ता हैं।
संसार मार्ग :- सरकारी विद्यालय में बच्चों को पढ़ाने में आपकों किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा और कैसे आपने उनको ठीक करने की कोशिश की?
मोहनलाल सर :- देखिए जब मैने कार्यभार संभाला तो शिक्षा विभाग के अंदर जो सबसे बड़ी कमी थी वह थी "संसाधनों" की। जिस समय मैं लगा था उस समय सिर्फ एक टीचर था। चाहे सो बच्चे हो, चाहे डेढ़ सौ बच्चे हो इस एक टीचर को ही सभी को संभालना था। अध्यापकों की उस समय बहुत ही कमी थी कोई भाग्यशाली गांव ही होगा जहां दो या तीन टीचर हो।
उसमें मैंने यही प्रयास किया की बच्चों को ज्यादा से ज्यादा लाभ हो और जितने भी संसाधन है उन्हीं से अच्छा करने की कोशिश की जाए।
संसार मार्ग :- कोई अगर कमजोर विद्यार्थी है तो आपने उसे बेहतर बनाने का क्या प्रयास किया ?
मोहनलाल सर :- यही प्रयास किया कि वह बेहतर कर सके उसे आम भाषा में समझाया की कैसे वह अपनी जिंदगी को शिक्षा के सहारे बेहतर बना सकता हैं। और मात्र भाषा में समझाने से वह समझा की वह भी जीवन में कुछ कर सकता हैं।
संसार मार्ग :- अगर कोई बच्चा पढ़ने में कमज़ोर हैं तो क्या वो Failure हैं ?
मोहनलाल सर :- नहीं! बिलकुल भी नहीं। वो Failure नहीं हैं। मैने मेरे जीवन में ऐसे काफ़ी लोग देखें हैं जो विद्यालय की परीक्षा में फेल हुए पर जिंदिगी की परीक्षा में 100% अंक के साथ पास हुए हैं। देखिए कुछ बच्चे होशियार होते हैं अच्छे अंक प्राप्त करते हैं पर अपने व्यावहारिक जीवन में फेल हो जाते हैं। तो शिक्षा ज़रूरी है पर अगर आप इसमें अच्छा नहीं कर पाते तो भी हताश मत होना आप किसी ओर क्षेत्र में इससे बेहतर कर सकते हैं। जैसे आप खुदका Business कर सकते हैं और अपने जीवन में सफल हो सकते हैं।
हां पर सीखना कभी मत छोड़ना वह हमेशा जारी रखना। क्योंकि जो हमेशा सीखता रहता वहीं जिंदगी में कुछ बड़ा करता हैं।
संसार मार्ग :- सर जिंदगी में फेल हुआ बच्चा ऐसा क्या करें कि उसे जीवन में सफलता मिले ?
मोहनलाल सर :- देखिए इस प्रश्न का उत्तर मैं एक उदाहरण देकर आपको बताने की कोशिश करता हूॅं। हमारे साथ जिस समय हम पढ़ रहे थे, उस वक्त हमारे साथ एक बंधु था। जिसने पढ़ाई छोड़ने का फैसला ले लिया था क्योंकि वह उसमें अच्छा नहीं कर पा रहा था। इस पर हमने उसे समझाया और कहा कि हम B.COM. कर रहे हैं और तुम पढ़ाई छोड़ रहे हो यह गलत है। इससे बेहतर होगा कि अगर तुम्हारी इसमें रुचि नहीं है तो तुम STC कर सकते हो। इसका सुझाव मैंने उसे इसलिए दिया क्योंकि उस समय 1987 में हाई सेकेंडरी के प्रतिशत के आधार पर STC में डायरेक्ट एडमिशन किया जा रहा था। उन्होंने मेरी बात का मान रखा और वह भी अध्यापक बन गए और कमल की बात यह है कि हम B.COM. कर अध्यापक बने और वह हमसे 1 साल पहले ही अध्यापक के तौर पर कार्यरत हुए।
संसार मार्ग :- सर आज का यूथ जो है वह डिप्रेशन का शिकार होता जा रहा है। अलग-अलग हालातो की वजह से वह डिप्रेशन की ओर चले जा रहे हैं तो इस पर आपका क्या कहना है?
मोहनलाल सर :- देखिए डिप्रेशन की जो बात है ना, वह तो आज का जैसे माहौल है वह बड़ा ही नेगेटिव है। चाहे आप घर में देखें, बाजार में देखे, एजुकेशन में देखें या अपने मित्र मंडल में देखें हर तरफ तनावपूर्ण माहौल है। तो ऐसे में उनका कोई मोटिवेट करने वाला चाहिए जिससे वह इस तनावपूर्ण माहौल से निकल सके।
संसार मार्ग :- सर अगर आपको कोई ऐसा व्यक्ति मिले जो डिप्रेशन का शिकार है, तो आप किस तरह से उसकी हेल्प करोगे और उसकी मेंटल हेल्थ को कैसे सही करने का प्रयास करोगे ?
मोहनलाल सर :- सबसे पहले देखिए ऐसे व्यक्तियों को भी बताना ही नहीं चाहिए कि वह है डिप्रेशन का शिकार हो रहा है। इसका बहुत ही गलत प्रभाव पड़ता है। इसके बजाय उसका साथ दिया जाए और उसको यह कहा जाए कि आप इस बार इसमें अच्छा नहीं कर पाए। तो कोई नहीं आप अगली बार और अच्छा प्रयास कीजिए और आपको सफलता जरूर मिलेगी। अगर उसे किसी विषय में परेशानी हो रही है तो उसे दूसरे विषय को चुनने का सुझाव दिया जाए अर्थात् जिस वजह से वह डिप्रेशन में जा रहा है उसे वजह का हल निकाला जाए।
संसार मार्ग :- सर आपके अनुसार एजुकेशन सिस्टम में क्या बदलाव आए हैं और कैसे इसे ओर बेहतर किया जा सकता हैं ?
मोहनलाल सर :- रात-दिन का अंतर हो गया है पहले के एजुकेशन सिस्टम और आज के एजुकेशन सिस्टम में। पहले हमारे इकाईयां चलती थी। 18 इकाईयां होती थी जब बच्चा ये पूरी कर लेता था तो वह दूसरी से तीसरी कक्षा में प्रवेश कर जाता था। और आज के समय में परीक्षा प्रणाली में काफ़ी अन्तर आ गया हैं। अभी भी एजुकेशन सिस्टम में परिवर्तन का दौर चल रहा है, सरकार जो है नई-नई शिक्षा नीतियां ला रही है। जिनका प्रभाव अब स्कूलों में भी देखने को मिल रहा है। लेकिन इसमें भी समस्या आ रही है जो पुरानी पद्धति की अध्यापक गण है उन्हें नई शिक्षा नीति अपनाने में थोड़ी सी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। समय लगेगा, पर फल अवश्य मिलेगा।
संसार मार्ग :- आपके अनुसार क्या एजुकेशन सिस्टम सही राह पर चल रहा है ?
मोहनलाल सर :- हां, एजुकेशन सिस्टम सही राह पर तो चल रहा है लेकिन रोजगार की थोड़ी कमी है। एजुकेशन सिस्टम ऐसा होना चाहिए जिसमें विद्यार्थी को किताबी ज्ञान के साथ-साथ प्रैक्टिकल नॉलेज भी जरूरी है। जैसे ही अभी सरकार के अनुसार B.Ed करने पर आपको इंटर्नशिप भी करनी पड़ेगी इसी प्रकार इसको हर क्षेत्र में लागू कर देना चाहिए। जिससे विद्यार्थी को यह पता चलेगा कि उसे जो किताबी ज्ञान दिया गया है उसका दैनिक जीवन में उपयोग क्या है।
संसार मार्ग :- सर आज के समय में प्राइवेट संस्थानों में विद्यार्थियों को बेसिक कंप्यूटर स्किल्स के साथ-साथ कोडिंग जैसी चीज भी सिखाई जा रही है तो क्या यह है सरकारी विद्यालय में भी होना चाहिए ?
मोहनलाल सर :- सरकारी स्कूलों में भी यह होना चाहिए लेकिन इसके लिए साथ कहां है ? साधनों के आभाव से स्किल्स सीखना संभव नहीं होगा। और दूसरी बात सरकारी विद्यालयों में सरकार की तरफ़ से अन्य कार्य भी होते हैं। देखिए बच्चों को शिक्षा देनी हैं लेकिन सरकार के अन्य कारणों में शिक्षा को भुला दिया जाता हैं। तो इसमें सबसे पहले सुधार आवश्यक हैं।
संसार मार्ग :- सर आप स्टूडेंट्स के लिए क्या संदेश देना चाहेंगे जिससे वो अपनी ज़िंदगी को बेहतर और अपने जीवन में एक सफल इंसान बन सके ?
मोहनलाल सर :- स्टूडेंट के लिए तो मैं बस यही कहूंगा कि वह अपने गुरूजन के मार्गदर्शन से अपने जीवन में आगे बढ़ते रहें। और आज जो वातावरण है, जो दूषित वातावरण है उससे दूर रहें। और यह जो मोबाइल है, यह हमारी मेमोरी को खत्म कर रहा है। मैं मानता हूं कि आज के समय में मोबाइल बहुत ही जरूरी आवश्यकता बन चुकी है तो इसे सिर्फ अपने कार्य के लिए इस्तेमाल किया जाए ना की दूसरी एक्टिविटीज में खुद को धकेला जाए। अंत में बस यही कहना चाहता हूॅं की खुद में विश्वास रखें, सब अच्छा होगा।
उम्मीद है कि आपको मोहनलाल सर की कहानी से कुछ सीखने को मिलेगा और आप उनके जीवन से प्रेरणा लेकर अपने जीवन को सफल बनाएंगे। अन्त में संसारमार्ग परिवार की ओर से श्री मोहनलाल सर के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं।
~SANSARMARG~
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